देखो एक नन्हीं परी आई है
आंगन में खुशियां छाई है
जिसकी हंसी देख मन भर आए
उसे मारकर कोई कैसे रह पाए !
दो उसे भी वही अधिकार
जो मिला बेटे को हर बार
फर्क ना करो बेटा और बेटी में
इन्हें भी जगह दो इस संसार में !
ना करो जुल्म इन्हें मार कर
फर्क से इन्हें भी आजाद कर
इन्हें भी पढ़ाओ, बड़ा बनाओ
गले से लगाओ और अपना बनाओ !
रोने की जगह हंस कर बोलो
इस बार बेटी हुई है गर्व से बोलो
उसे भी चाहिए मां की ममता और प्यार
पापा से भी चाहिए उसे बहुत सारा दुलार !
मां की परछाई है, वह ना करो उसे दूर
जन्म तो लेने दो आखिर क्या है उसका कसूर
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ यह हमें अपनाना है
इन्हें भी समाज का अहम हिस्सा बनाना है !