By Punam Kaur, Alipurduar
घर देखे कितने साल हो गए
आधे काले बाल भी अब पूरे सफेद हो गए,
ले चल बेटा मुझे यहां से
पोते को खिलाए जाने कितने जनम हो गए !
मन नहीं लगता इस वृद्धाश्रम में
ना कहूंगा कुछ, ना करूंगा
तेरे आज्ञा के बगैर सांस भी ना लूंगा
सब कुछ तेरे नाम करवा कर
बस घर से ही अंतिम विदाई लूंगा !
मन करता है, तुझे छू लूँ
देख लूँ एक बार आहें भर लूँ
ना रख दूर इतना मुझे
बुढ़ापे का सहारा समझा था तुझे !
भूख प्यास ना रही अब
आंसू भी ना निकलते मेरे
किसी को कोई झंझट ना दूंगा
ले चल मुझे यहां से एक छोटे कमरे में पड़ा रहूंगा ! अंतिम सांसे तेरे साथ बिताना चाहता हूं
बस आ जा एक बार यहां
मैं घर जाना चाहता हूं
बूढ़ा हो गया हूं अब
मैं तुझे देखते हुए दम तोड़ना चाहता हूं !
एक-एक करके सारी हड्डियां कमजोर हो गई है यहां समय हुआ तो आना और ले जाना
वरना मत करना चिंता
ऊपर जाकर, बेटा बीमार था, कह दूंगा वहां !