Poetry Uncategorized “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”- Punam Kaur by Saptarshi Nag देखो एक नन्हीं परी आई हैआंगन में खुशियां छाई हैजिसकी हंसी देख मन भर आएउसे मारकर कोई कैसे रह पाए ! दो उसे भी वही अधिकारजो मिला बेटे को हर बारफर्क ना करो बेटा और बेटी मेंइन्हें भी जगह दो इस संसार…